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लेखनी कहानी -21-Mar-2023

एक अपना से शहर एक सुहाना सा शहर

दिल ढूंढता है फिर वो पुराना सा शहर।

वक्त के मारे लोगों ने आना छोड़ दिया
फिर भी ख्वाबों में आ जाता है पहचाना सा शहर

यूं तो कई सालों में मिलना होता है
पर खुश ही मिलता है दीवाना सा शहर।

हजारों जायके यूं पेट भर देते हैं मगर
मिठास भरता है मन में वो चायखाना सा शहर।

मेरे बचपन को गोदी में सम्हाले बैठा है
मेरे बचपन ही के जैसा मस्ताना सा शहर।।

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7 Comments

shweta soni

24-Mar-2023 12:36 PM

बेहतरीन

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अदिति झा

23-Mar-2023 12:28 AM

Nice 👍🏼

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बहुत खूब

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